![close up photo of a stamp on a paper](https://poorikhabar.com/wp-content/uploads/2022/06/pexels-photo-5425648.jpeg)
Photo by Anna Tarazevich on <a href="https://www.pexels.com/photo/close-up-photo-of-a-stamp-on-a-paper-5425648/" rel="nofollow">Pexels.com</a>
योगी सरकार ने परिवार में संपत्ति के बंटवारे को निर्विवाद करने के लिए अब संपत्ति हस्तांतरण पर सिर्फ पांच फीसदी ही ड्यूटी लगाने का फैसला लिया है।
परिवार के सदस्यों के बीच अचल संपत्ति का बंटवारा अब आसान होगा। इसके लिए दान विलेख पर स्टांप शुल्क में छूट दे दी गई है। संपत्ति चाहे कितनी भी कीमती क्यों न हो, पारिवारिक बंटवारे पर केवल पांच हजार रुपये स्टांप शुल्क फिक्स कर दिया गया है।
सरकार का मानना है कि परिवार का मुखिया अपने जीवनकाल में ही भाई, पुत्री, बहन, पिता, बहू, पुत्र, पौत्री या आर्थिक व शारीरिक रूप से कमजोर सदस्यों को पारिवारिक संपत्ति दान करना या उसका बंटवारा चाहता है, लेकिन स्टांप शुल्क अधिक होने की वजह से रजिस्ट्री से परहेज करता है।
स्टांप शुल्क से बचने के लिए संपत्ति के मालिक की ओर से परिवार के सदस्यों के नाम अक्सर वसीयत लिखी जाती है। लेकिन मुखिया के निधन के बाद वसीयत के अधिकांश मामलों में विवाद होता है।अब ऐसे मामलों में कमी आएगी। साथ ही राजस्व प्राप्ति में वृद्घि होगी।
अभी तक ये थी व्यवस्था
उत्तर प्रदेश में संपत्ति हस्तांतरण पर शहर में सर्किल रेट का 5 प्रतिशत स्टांप ड्यूटी, दो प्रतिशत विकास शुल्क तथा एक प्रतिशत निबंधन शुल्क लिया जाता है। जबकि दस लाख रुपये तक मूल्य की संपत्ति के हस्तांतरण पर महिलाओं को एक प्रतिशत स्टांप ड्यूटी में छूट मिलती है।
ग्रामीण क्षेत्रों में यह स्टांप ड्यूटी 5 प्रतिशत है और विकास शुल्क नहीं लगता है। इसके अलावा भी परिवार के सदस्यों के बीच संपत्ति का लेन-देन होता है, जिसमें वास्तव में तो रकम अदा नहीं की जाती है पर नियमानुसार स्टांप शुल्क अदा करना पड़ता है।
यह वास्तव में परिवार के एक सदस्य द्वारा दूसरे सदस्य को दिया जाने वाला दान या गिफ्ट होता है। इस पर स्टांप शुल्क नहीं लगना चाहिए। इसी के मद्देनजर पारिवारिक अचल संपत्ति बंटवारे के दान विलेख पर स्टांप शुल्क में छूट को कैबिनेट की मंजूरी दे दी गई है