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पर्यावरण परिवर्तन एक महत्वपूर्ण और चिंता का विषय है, जिसका प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। हमारी पृथ्वी पर घटित हो रहे जलवायु परिवर्तन के कारण बाहरी पर्यावरण की गड़बड़ी हो रही है, जो मानव स्वास्थ्य को धीरे-धीरे प्रभावित कर रही है। इस लेख में हम इस विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे और इसके प्रमुख प्रभावों को समझेंगे जो मानव स्वास्थ्य पर पड़ते हैं।
प्रदूषण का प्रभाव
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प्रदूषण पर्यावरण की एक मुख्य समस्या है, जिसमें वायु, जल, और धरती के प्रदूषक पदार्थों का मानव द्वारा उत्पादन और उपयोग शामिल हैं। वायु प्रदूषण के कारण वायुमंडल में हानिकारक धुएं और तत्वों का स्तर बढ़ जाता है, जो सांस लेने वालों के श्वसन नलियों और फेफड़ों को प्रभावित करता है। यह श्वसन संबंधी रोगों, जैसे कि दमा और ब्रोंकाइटिस, के विकास का कारण बन सकता है। जल प्रदूषण के कारण स्वच्छ और पियूषी पानी की कमी होती है, जिसके चलते लोग जलसंबंधी बीमारियों, जैसे कि मलेरिया और टाइफाइड, से प्रभावित होते हैं। धरती पर निरंतर विकास के कारण भूमि का उपयोग बदल रहा है, जिससे वनों का कटाव, उद्भूत प्राकृतिक परिस्थितियों का बिगाड़, और जीव-जन्तुओं के प्राकृतिक आवासों की कमी हो रही है।
उच्च तापमान का प्रभाव
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पृथ्वी के तापमान में बदलाव पर्यावरण परिवर्तन का एक बड़ा पहलू है। अधिक ऊष्मा उन्मुख क्षेत्रों में अत्यधिक गर्मी के कारण शारीरिक बीमारियों का विकास प्रोत्साहित कर सकती है। ये शारीरिक बीमारियाँ शामिल हो सकती हैं: लू लगना, उष्णता संबंधी उण्डुरता और दिल की बीमारियाँ। इसके अलावा, उच्च तापमान उद्भवनशील रोगों, जैसे कि मलेरिया, डेंगू, के माध्यम से मानव स्वास्थ्य पर भी सीधा प्रभाव डालता है।
बाढ़ और सूखे के प्रभाव
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पर्यावरण परिवर्तन के अन्य दो मुख्य पहलू हैं बाढ़ और सूखा। बाढ़ के कारण जलमग्न समुदायों के विकास का कार्यक्षेत्र बढ़ जाता है और इससे जलमग्न संबंधी बीमारियाँ, जैसे कि डेंगू और मलेरिया, फैल सकती हैं। इसके विपरीत, सूखा सूखी भूमि और जल संसाधनों की कमी के कारण मानवों को प्यास, भूखमरी, और अन्य पोषण संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य के सामंजस्य
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जलवायु परिवर्तन का प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर एक सामंजस्य रखता है। अधिकतम तापमान, अस्तित्व रखने वाली जीवित प्राणियों की कमी, और अपर्याप्त पानी की कमी स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक बुरा प्रभावित करती हैं। यह प्रभाव खासकर गर्म देशों और गरीब सामुदायों पर अधिक होता है, जहां स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सीमित होती है। जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप दिल की बीमारियाँ, श्वसन संबंधी रोग, और खाद्य संबंधी समस्याएँ बढ़ती हैं।
मानव स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के उपाय
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पर्यावरण परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए हमें साथी बनने की जरूरत है। कुछ संभव उपाय शामिल हैं:
- जल संचयन: बारिश का पानी संचित करने और उपयोग करने के लिए जल संचयन की तकनीकों का उपयोग करें।
- पौधरोपण: पौधरोपण करके वृक्षों की संख्या बढ़ाएं और प्राकृतिक वातावरण को सुरक्षित रखें।
- संगठनित शहरीकरण: सुरक्षित और स्वच्छ शहरों का विकास करें, जहां जल और हवा की गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाता है।
- नवीनतम प्रौद्योगिकी का उपयोग: पर्यावरण सुरक्षा के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी, जैसे कि जल शोधन यंत्र, जलयांत्रिकी, और ऊर्जा संयंत्रों का उपयोग करें।
- जागरूकता बढ़ाएं: लोगों को पर्यावरण परिवर्तन के प्रभावों के बारे में जागरूक करें और स्वस्थ और सुरक्षित जीवनशैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित करें।
इन उपायों को अपनाने से हम एक स्वस्थ और सुरक्षित मानव स्वास्थ्य का संरक्षण कर सकते हैं। इससे हम भावी पीढ़ियों को एक बेहतर मानव स्वास्थ्य के साथ एक सुरक्षित और स्वच्छ पर्यावरण प्रदान कर सकते हैं।