November 21, 2024
man in black shirt and gray denim pants sitting on gray padded bench

Photo by Inzmam Khan on <a href="https://www.pexels.com/photo/man-in-black-shirt-and-gray-denim-pants-sitting-on-gray-padded-bench-1134204/" rel="nofollow">Pexels.com</a>

जब भी हम डिप्रेशन या एंग्जायटी की बारे में सुनते है तो हमेशा ऐसा सुझाव सामने आता है कि ऐसे में आप हमेशा अपने करीबी लोगों से बात करे और अपनी परेशानी शेयर करे| अक्सर कई मामलों में तो लोगो को अपने डिप्रेशन में होने का मालूम भी नहीं होता बस वो मानसिक रूप से परेशान होते है|

man beside white frame window

ऐसे मे जब वो व्यक्ति अपनी बातें किसी से भी शेयर करना चाहे तो उसके मन हमेशा एक डर घर किये रहता है कि:

  • क्या अगला व्यक्ति उसकी स्थिति समझेगा या नहीं?
  • क्या उसको जज किया जायेगा?
  • कही उसकी बातो का मज़ाक तो नहीं बनाएगा ?
  • या किसी से बताएगा तो नहीं ?

आमतौर पर ये सुझाव भी अधिकतर देखने को मिलता है कि आप अपने पेरेंट्स से बातें साझा करें| लेकिन



क्या हर बात पेरेंट्स से शेयर कर पाना इतना आसान होता है ?

इसी वजह से उस व्यक्ति के मन के अंदर ही अंदर घुटन की स्तिथि बनी रहती है , अपनी बात न कर पाने की वजह से डिप्रेशन और बढ़ता चला जाता है और नेगेटिव सोच दिमाग में घर कर लेती है |

क्या हम सबको ये सोचना ज़रूरी नहीं है कि ऐसी स्थिति में कैसे एक दूसरे का साथ दें| यदि कोई भरोसे से आपको कोई निजी बात बता रहा है तो उसकी गोपनीयता का ख्याल रखा जाये और अगर डॉक्टर की मदद की ज़रूरत है तो मदद लेने की लिए राज़ी किया जाये |

यदि किसी को डिप्रेशन है तो हमेशा उसकी मदद करने का सोचे, ध्यान रखें उसका मज़ाक न बनाये और न उसकी बात पर हंसे क्योकि आज के दौर मे डिप्रेशन का शिकार होना बेहद आम सी बात हो गई है| यदि आज कोई डिप्रेशन और एंग्जायटी में है तो कल आप भी इसका शिकार हो सकते है |

ज़रूरी है कि ऐसे मे एक दूसरे का साथ दे, साथ ही दुसरो को भी सलाह दें कि वे भी उस व्यक्ति का सहयोग करें |

अपने मन कि बात किसी से न कह पाना इंसान को अंदर से खोखला सकता है | हो सकता है देखने मे सब कुछ सही लगे लेकिन कोशिश करें कि समय रहते हुए ही इसका संज्ञान लें |

आजकल हर कोई बेटर मेन्टल हेल्थ की बारे में बात कर रहा है| सेलिब्रिटीज भी पूरी दुनिया से इस गंभीर समस्या को कम करने के लिए एकजुट हैं|

जब वे ऐसा कर सकता हैं तो हम एक दूसरे समझने और समझाने का मौका क्यों नहीं दे सकते ?

ये एक स्वस्थ देश के लिए ज़रूरी बेहद ज़रूरी है |

ज़रूर सोचिये -ऐसे लोगों को इग्नोर मत कीजिये ,साथ दीजिये, सकारत्मकता से, सद्बुद्धि से!

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