भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने जारी किया अलर्ट — मोंथा चक्रवात 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आंध्र तट से टकराया, अगले 3–4 घंटे रहेंगे सबसे खतरनाक।
देश में चक्रवात मोंथा (Cyclone Monda) ने दस्तक दे दी है, जिसने मौसम में बड़े बदलाव का संकेत दे दिया है। 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यह तूफान मंगलवार देर रात आंध्र प्रदेश तट से टकराया। मोंथा के असर से तटीय आंध्र प्रदेश, रायलसीमा, तेलंगाना, दक्षिण छत्तीसगढ़ और ओडिशा में भारी से बहुत भारी बारिश होने की उम्मीद है।
देश के मौसम में आने वाले बदलाव के लिए तैयारी करने का इशारा कर दिया है |
मौसम विभाग के अनुसार, मोंथा के असर से तटीय आंध्र प्रदेश, रायलसीमा, तेलंगाना, दक्षिण छत्तीसगढ़ और ओडिशा में भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना जताई गई है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अपने नवीनतम बुलेटिन में बताया कि चक्रवात का लैंडफॉल (landfall) शुरू हो चुका है और यह प्रक्रिया अगले 3 से 4 घंटे तक जारी रहेगी।
इस दौरान समुद्र में ऊंची लहरें उठेंगी, तेज़ हवाएँ चलेंगी और कई जिलों में जनजीवन प्रभावित हो सकता है।
इन डिवीजनों में चक्रवात का असर गंभीर होने की संभावना है।
प्रभावित जिले:
- काकीनाडा
- कृष्णा
- एलुरु
- पूर्वी गोदावरी
- पश्चिमी गोदावरी
- डॉ. बी.आर. अंबेडकर कोनासीमा
- अल्लूरी सीताराम राजू (चिंतूर और रामपचोडावरम डिवीजन)
राज्य सरकार ने सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मंगलवार रात 8:30 बजे से बुधवार सुबह 6 बजे तक इन सात जिलों में वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी है।
अधिकारियों के मुताबिक, चक्रवात से 22 जिलों के 403 मंडलों पर असर पड़ने की संभावना है।
राहत और बचाव दल अलर्ट मोड में हैं, और मछुआरों को समुद्र में न जाने की सख्त हिदायत दी गई है।
नागरिकों के लिए सुझाव (Citizen Advisory):
चक्रवात मोंथा के असर को देखते हुए सभी नागरिकों से अपील है कि वे घर के अंदर सुरक्षित रहें और समुद्र तटों या निचले इलाकों की ओर न जाएं। बिजली के खंभों, पुराने पेड़ों और कच्चे मकानों से दूरी बनाए रखें।
मोबाइल फोन चार्ज रखें, ज़रूरी दवाइयाँ, पानी और टॉर्च जैसी चीज़ें पहले से तैयार रखें।
सरकारी निर्देशों और स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी चेतावनियों का पालन करें और अफवाहों पर ध्यान न दें।
ऐसे समय में सजग रहना ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।
प्रकृति के प्रकोप को रोका नहीं जा सकता, लेकिन समझदारी और सामूहिक सहयोग से उसके प्रभाव को कम ज़रूर किया जा सकता है।
