भारत में साल 2023 को उस वर्ष के रूप में याद किया जाएगा जब हम चंद्रमा पर गए थे.
चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर 23 अगस्त को उतरा था. उस दिन पूरे देश में बड़े पैमाने पर जश्न मनाया गया था. दक्षिणी ध्रुव चंद्रमा की सतह पर एक ऐसा क्षेत्र है, जहां भारत से पहले कोई नहीं पहुंचा था.
इसके साथ ही भारत अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाले देशों के विशिष्ट क्लब में शामिल हो गया .
इसके अगले महीनों में भारत ने अंतरिक्ष में अपनी यात्रा जारी रखी. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के बाद भारत ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य-एल1 को भेजा. इसके बाद 2025 में अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाने से पहले एक महत्वपूर्ण परीक्षण उड़ान को अंजाम दिया गया. आइए हम उन छड़ों को याद करें जब अंतरिक्ष में भारत की प्रगति ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों के लिए यह ’20 मिनट का आतंक’ था, जब विक्रम लैंडर ने अपने पेट में प्रज्ञान रोवर को लेकर, चंद्रमा की सतह पर उतरना शुरू कर दिया.
लैंडर की गति धीरे-धीरे 1.68 कि.मी. प्रति सेकंड से कम करके करीब शून्य कर दी गई. इससे यह दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में एक नरम लैंडिंग करने में सक्षम हो गया. वहां की सतह ‘गड्ढों और पत्थरों से भरी’ है.
इसके बाद इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने घोषणा की, “भारत चंद्रमा पर है”. इसके साथ ही देश की यह घटना इतिहास की किताबों में दर्ज हो गई.
अगले 10 दिनों तक अंतरिक्ष वैज्ञानिकों और देश के बाकी हिस्सों ने लैंडर और रोवर की हर गतिविधि पर नज़र रखी, क्योंकि वो डेटा और फोटो लेकर और उसके विश्लेषण के लिए उन्हें वापस पृथ्वी पर भेज रहा था.
हमने छह पहियों वाले रोवर की तस्वीरें देखीं, जो लैंडर के पेट से नीचे फिसल रहा था और चंद्रमा की धरती पर अपना पहला कदम रख रहा था. 1 सेमी प्रति सेकंड की गति से चलते हुए, यह 100 मीटर से अधिक की दूरी तय कर गया. कभी-कभी रोवर ने गड्ढों में गिरने से बचने के लिए अपना रास्ता बदल लिया.
इस अभियान से बहुत कुछ पता चला जिनमें चंद्रमा की सतह के ठीक ऊपर और नीचे तापमान में तेज़ अंतर देखने को मिला और मिट्टी में कई रसायनों, खासकर सल्फर की मौजूदगी की पुष्टि हुई. इन निष्कर्षों ने अंतरिक्ष वैज्ञानिकों और बड़े पैमाने पर वैज्ञानिक समुदाय को उत्साहित किया है.
इससे गौरवान्वित इसरो ने कहा कि मिशन ने न केवल अपना लक्ष्य पूरा किया बल्कि उसके आगे जाकर भी काम किया.