क्या कोई भी व्यक्ति गरीब होने का सपना देखता है? क्या कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो ये चाहेगा कि वो आजीवन कर्ज में फंसा रहे? नहीं। फिर क्यों चाहते हुए भी हर कोई अमीर नहीं बन पाता। क्यों कुछ लोग कर्ज में फंसे रहते हैं? जवाब है कुछ खराब आदतें।जेम्स क्लियर ने अपनी किताब ‘एटॉमिक हैबिट्स’ में लिखा है, ‘सफलता रातों रात नहीं मिलती, बल्कि इसके पीछे हमारी रोजाना की छोटी-छोटी आदतें होती हैं।’ इसी किताब में वो ये भी कहते है कि ये आदतें ही हमारा जीवन बनाती हैं और बिगाड़ती भी हैं।आर्थिक पिछड़ेपन का भी एक बहुत बड़ा कारण आदत ही है। आज हम बात करेंगे ऐसे ही कुछ आदतों के बारे में जो हमें अमीर नहीं बनने देतीं।सफाई कर्मी की अमीर बनने की कहानीअमेरिका के एक सफाई कर्मचारी रोनाल्ड रीड ने 66 करोड़ रुपए से ऊपर की संपत्ति अर्जित कर ली। इतने पैसे जमा करना किसी डॉक्टर या इंजीनियर के लिए भी आसान नहीं है। अब न तो रोनाल्ड रीड लाखों में कमाते थे और न ही उनकी कोई लॉटरी लगी थी।
फिर उन्होंने इतनी संपत्ति कैसे अर्जित की? जवाब है इन्वेस्टमेंट से। उनके पड़ोसी बताते हैं कि वो अपनी आय का 80 फीसदी हिस्सा स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट कर देते थे। यही था वो चमत्कारी टूल जिससे वो एक सामान्य सी आय में भी इतनी बड़ी रकम जमा कर पाए।8 फीसदी भारतीय परिवार ही करता है निवेशलेकिन म्यूचुअल फंड और स्टॉक में इन्वेस्टमेंट को भारतीय लोग नजरअंदाज करते हैं। ये बात रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़े कह रहे हैं। RBI ने 2019 में एक सर्वे कराया। उस सर्वे के अनुसार सिर्फ 8 फीसदी भारतीय परिवारों ने ही म्यूचुअल फंड और स्टॉक मार्केट में निवेश कर रखा है। अगर सिर्फ स्टॉक मार्केट की बात करे तो यहां 100 में से महज ३ लोगों ने इन्वेस्टमेंट कर रखा है। वहीं अमेरिका में ये आंकड़ा 100 में से 55 लोगों का है।
इन्वेस्टमेंट को नजरअंदाज करना हमारी बहुत बड़ी भूल है, जो हमें अमीर नहीं बनने दे रही।50-30-20 रूल को फॉलो नहीं करना एलिजाबेथ वॉरेन और एमेलिया वॉरेन त्यागी ने मिलकर एक किताब लिखी। किताब का नाम है ‘ऑल यॉर वॉर्थ: द अल्टीमेट लाइफटाइम मनी प्लान’। इस किताब के जरिए उन्होंने हमें बजटिंग का एक रूल बताया। जिसे 50-30-20 के नाम से जाना जाता है। बजट का ये नियम बहुत मशहूर हुआ, ये बहुत कारगर भी है। इस नियम के अनुसार हमें अपनी आय का 50 फीसदी हिस्सा अपने जरूरतों पर खर्च करना चाहिए। ये जरूरतें घर का राशन, बच्चों के स्कूल का फीस, पेट्रोल का खर्चा इत्यादि हो सकते हैं।आय का 30 फीसदी हिस्सा हमें अपने शौक पर खर्च करने चाहिए। जैसे फिल्म देखना, घूमना, कोई फैंसी सामान खरीदना इत्यादि।वहीं आय का 20 फीसदी हिस्सा हमें बचत और निवेश में लगाने चाहिए।
समस्या तब हो जाती है जब हम इस रूल के अनुसार नहीं चलते। ये सवाल आपसे है, क्या आप इस नियम के अनुसार चलते हैं? लायबिलिटी और एसेट के फर्क को न समझना एक बड़ी गलती रॉबर्ट टी कियोसाकी अपनी किताब ‘रिच डैड पुअर डैड’ में लिखते है कि संपत्ति दो तरह की होती है। एक लायबिलिटी और दूसरी एसेट।वो संपत्ति जिसे खरीदने के बाद उसकी कीमत दिन ब दिन कम होती जाए और जिसके रखरखाव में भी पैसे खर्च होते हों, वैसी संपत्ति को लायबिलिटी कहा जाता है। जैसे कार, गैजेट्स इत्यादि।वही जिस संपत्ति की कीमत समय के साथ कम न हो और जो हमारे आय बढ़ाने में सहायक हो उसे एसेट में गिना जाता है। जैसे घर, गोल्ड, स्टॉक इत्यादि।इसके आगे लेखक कहते हैं कि जो लोग एसेट से ज्यादा लायबिलिटी में पैसे खर्च करते हैं वो अमीर नहीं बन पाते।क्योंकि इससे उनके लगाए धन की कीमत दिन-प्रतिदिन कम होती जाती है, साथ ही उनके आय का एक मोटा हिस्सा उस लायबिलिटी के मेंटेनेंस में भी जाता है। जैसे कार लोन का इंटरेस्ट, सर्विस कॉस्ट इत्यादि।वहीं अमीर लोग अपने पैसों को लायबिलिटी से ज्यादा एसेट में खर्च करते हैं, जिससे उनकी संपत्ति दिन-प्रतिदिन बढ़ती चली जाती है।
फाइनेंस संबंधी कुछ लापरवाही
कुछ ऐसी छोटी-छोटी लापरवाहियां जिसकी वजह से लोग अपने पैसो का नुकसान कर लेते हैं। जैसे हेल्थ इंश्योरेंस न खरीदना। इससे अगर परिवार में कोई व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार पड़ जाए तो परिवार अर्श से फर्श पर आ सकता है। हेल्थ इंश्योरेंस इस खतरे से बचाती है।इसी तरह से एक लापरवाही ये भी है कि लोग समय पर इलेक्ट्रिसिटी बिल या EMI भरना भूल जाते हैं। इससे उन्हें भारी पेनल्टी भरना पड़ता है। ऐसे ही कुछ लापरवाही को हम नीचे दिए गए क्रिएटिव से जानेंगे।
सोशल वेलिडेशन की चाह
बचपन से लोगों की चाह होती है कि वो अमीर बने। लेकिन अमीर बनने की ये चाह अमीर दिखने में बदल जाती है।लोग चाहते हैं कि सामने वाला व्यक्ति उसे नोटिस करे और अमीर समझे। सिर्फ इसी चाह में व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा पैसे खर्च करता है। इससे वो बेशक बाहर से अमीर नजर आता हो, लेकिन भीतर से वो एक मिडिल क्लास ही बन कर रह जाता है। दूसरों के सामने अमीर दिखने की चाह लोगों को गरीब बना रही
अल्पकालिक सुख के लिए पैसे बर्बाद करना
क्षणिक सुख के लिए लोग अपनी तनख्वाह का मोटा हिस्सा खर्च कर देते हैं। अगर इस आवेग को नियंत्रित कर लिया जाए तो अच्छे खासे पैसे बचाए जा सकते हैं। कुछ अल्पकालिक सुख के उदाहरण नीचे क्रिएटिव में दिए गए हैं।
बात-बात पर कर्ज ले लेना
क्रेडिट इनफॉर्मेशन कंपनी (CIC) की एक रिपोर्ट के अनुसार आज भारत की आधी कामकाजी आबादी कर्ज में है।कर्ज अगर एजुकेशन के लिए, बिजनेस बढ़ाने के लिए या फिर किसी इमरजेंसी में लिया जाए तो भी ठीक है। लेकिन लोग अब गैर जरूरी सामान खरीदने के लिए, अपने शौक पूरे करने के लिए, घूमने-फिरने के लिए, महंगा स्मार्टफोन खरीदने के लिए भी लोन लेने लगे हैं।इस तरह के खर्चों के लिए लिया जाने वाला लोन, बुरे लोन में गिना जाता है। कर्ज के रहते हुए न तो लोग पैसे बचत कर पाते हैं और न ही निवेश।