एक ऐसी दुनिया की कल्पना करिए, जहां सिर्फ महिलाएं-ही-महिलाएं होंगी। उनकी अपनी बनाई दुनिया, जहां उनकी हुकूमत और उनके ही उसूल होंगे। उस दुनिया कोई मर्द नहीं होगा।
क्या ऐसा हो सकता है? सुनने में तो ये डिस्टोपिया लगता है, लेकिन विज्ञान इस बारे में कुछ और ही इशारा कर रहा है।
‘इंटरनेशनल जर्नल ऑफ मॉलिक्यूलर साइंसेज’ में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, जैसे-जैसे दुनिया आगे बढ़ रही है, उसके साथ ही इंसानों में Y क्रोमोजोम का आकार घटता जा रहा है। ऐसी ही एक स्टडी प्रतिष्ठित साइंस जर्नल ‘नेचर’ में भी पब्लिश हुई थी। इन स्टडीज के बाद से Y क्रोमोजोम की विलुप्ति पर चर्चा ने जोर पकड़ लिया है।
असल में इंसानों में कोई पुरुष बनेगा या महिला, इसका निर्धारण क्रोमोजोम्स ही करते हैं। अगर दो X क्रोमोजोम्स हैं (XX) तो उसका जेंडर फीमेल होगा। अगर क्रोमोजोम्स X और Y हैं (XY) तो जेंडर मेल होगा। कुल मिलाकर क्रोमोजोम्स ही जेंडर निर्धारण के लिए जिम्मेदार हैं।
इस स्टडी के आधार पर वैज्ञानिक मान रहे हैं कि जिस तरह Y क्रोमोजोम का आकार घटता जा रहा है, इससे संभावना बन सकती है कि एक दिन यह क्रोमोजोम पूरी तरह विलुप्त हो जाए और इस धरती पर पुरुष पैदा होना बंद हो जाएं। फिर पुरुषों की आखिरी पीढ़ी के बाद पूरी मानव जाति का भी विनाश हो जाएगा।
इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में Y क्रोमोजोम से जुड़ी इस स्टडी की बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-
Y क्रोमोजोम के विलुप्त होने की आशंका कब तक है?
क्या इंसानों के बचने की कोई उम्मीद भी है?
दो तरह के चूहों की प्रजाति खो चुकी है Y क्रोमोजोम
इंसानों और अन्य स्तनधारी जीवों में बच्चे के लिंग का निर्धारण Y क्रोमोजोम में मौजूद एक जीन करता है। इसलिए उस जीन को पुरुष-निर्धारण जीन और Y क्रोमोजोम को पुरुष-निर्धारण क्रोमोजोम कहते हैं। लिंग निर्धारण के लिए उत्तरदायी यह क्रोमोजोम धीरे-धीरे कमजोर हो रहा है और आशंका जताई जा रही है कि कुछ लाख सालों बाद यह गायब हो जाएगा। इससे इंसानों की प्रजाति विलुप्त होने का भी खतरा है। इससे पहले भी दो तरह के चूहों की प्रजातियों का Y क्रोमोजोम विलुप्त हो चुका है।