November 21, 2024
भारत विरोधी एजेंडा चलाने वाली चीनी राजदूत की मंशा पर फिरा पानी, नेपाल से लेनी पड़ रही है विदाई

नेपाल में रहकर भारत विरोधी एजेंडा चलाने वाली चीनी राजदूत हाओ यांगकी ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है। अब उन्हें नेपाल छोड़कर जाना होगा। नेपाल में नई सरकार के शपथग्रहण से पहले भारत के लिए यह अच्छी खबर मानी जा रही है।  चीन ने हाओ को अब नेपाल से हटा कर आसियान देशों के मामले देखने के लिए इंडोनेशिया में भेजा है। हाओ यांकी राजदूत डेंग जिजुन की जगह लेंगी। बता दें कि हाओ 2018 से काठमांडू में तैनात हैं। वह चुनाव खत्म होने का इंतजार कर रही थी। अब जब चुनावी प्रक्रिया पूरी हो गई है तो उन्हें विदाई लेनी पड़ रही है।

कौन हैं  हाओ यांगकी 

साल 2018 से नेपाल में चीन की राजदूत के रूप में काम कर रही हाओ यांगकी को दक्षिण एशियाई मामलों का जानकार माना जाता है। इसी लिहाज से  हाओ यांगकी  ने विदेश मंत्रालय में लंबे वक्त तक डिप्टी डायरेक्टर की भूमिका निभाई और कई अहम फैसले लिए। उनके कई फैसले से चीन का संबंध पड़ोसी देशों से प्रभावित हुआ। यांगकी ने चीनी राजदूत के तौर पर पाकिस्तान में भी तीन साल बिताए हैं।



पाकिस्तान के बाद नेपाल में चलाने लगीं भारत विरोधी एजेंडा

भारतीय खुफिया एजेंसियों के अनुसार  हाओ यांगकी  ने पाकिस्तान में राजदूत के रूप में काम करते हुए पाकिस्तानी सरकार के लिए भी कई नीतियों पर काम किया है। इनमें से कई नीतियां ऐसी भी थी जिनका संबध भारत से था। पाकिस्तान में उनकी सफलता को देखते हुए उन्हें नेपाल भेजा गया। भारत और नेपाल के रिश्तों में पहली बार इतनी कड़वाहट आई है। दोनों देशों के बीच बेटी और रोटी का संबंध है।

नेपाल को उकसाने में यांगकी ने कोई कसर नहीं छोड़ी

नेपाल ने जबसे विवादित नक्शा को अपने हिस्से में शामिल किया है, तभी से दोनों देशों के बीच तल्खियां बढ़ी हैं। माना जा रहा है कि नेपाल की इस खुराफात के पीछे यांगकी का ही हाथ है। उन्होंने ही पीएम ओली और नेपाल की संसद को इसके लिए तैयार किया। जानकारी के मुताबिक यांगी पीएम ओली के दफ्तर और उनके निवास पर भी बिना रोक टोक ही आती जाती हैं। यह भी कहा जा रहा है कि नेपाल की सत्तासीन पार्टी के जिस प्रतिनिधिमंडल ने नक्शे में संशोधन के लिए विधेयक बनाया, यांगी उसके संपर्क में भी थीं।

 यांगकी ने अपने एजेंडे को चलाने के लिए उर्दू भाषा सीखीसोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाली यांगकी के कूटनीतिक दिमाग का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उन्होंने पाकिस्तान में अपने एजेंडे को चलाने के लिए उर्दू भाषा सीखी। यांगकी सोशल मीडिया में चीन की सांस्कृतिक और सामाजिक बातों का बढ़चढ़ कर बखान करती है। इसे सॉफ्ट पॉवर बढ़ाना कहा जाता है।

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